इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की साइंस फैकल्टी में पढ़ती थी तब मेरे हॉस्टल के दिनों की एक मज़ेदार और यादगार शाम आज भी ताजा है। उम्र तो अब 35 हो गई, मगर हॉस्टल लाइफ के वो पल, वो स…
और पढ़ेंसाइंस फैकल्टी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए hostel की ज़िन्दगी अपनी ही दुनिया थी। आज उम्र 35 पार कर गई, लेकिन हॉस्टल के उस छोटे से कमरे, प्लास्टिक की थाली और मिट्टी…
और पढ़ेंयह कहानी एक छोटे से गांव की है, जहाँ एक परिवार रहता था। उस परिवार में माँ, पिता, बहन और तीन बच्चे थे। परिवार के सबसे छोटे बेटे की उम्र सिर्फ सात साल थी। एक बार परिवार क…
और पढ़ेंसुमा हमेशा से ही अपने मोहल्ले में सबकी मदद के लिए तैयार रहने वाली थी। कभी-कभी मुझे लगता है, जैसे लोग तभी याद करते हैं जब उन्हें कोई जरुरत हो। मेरी पड़ोसी सीमा भी कुछ ऐ…
और पढ़ेंबचपन की वह ठंडी शाम आज भी याद है, जब मैं अपनी सखियों के साथ मुठ्ठीगंज की उसी पुरानी नुक्कड़ वाली दुकान पहुँचती थी। Hari Ram & Sons की दुकान, जो लोकनाथ चौक के बीचोंबी…
और पढ़ेंगाँव की धूल भरी गलियाँ, जहां सूरज की पहली किरण भी झोपड़ियों के बीच से लड़ते-लड़ते आती थी, वहीं मेरा बचपन बीता। 1990 के दशक का वो दौर, जब बच्चे छोटे छोटे कामों में हाथ बं…
और पढ़ेंजयपुर की बारिश भरी रात थी, सड़कों पर पेड़ों की छाया, दूर कहीं लालटेनों की हल्की रोशनी। लेखिका गुड़िया शर्मा अपने पुराने पैतृक घर लौटी थी। राखबन्धन करीब था, मगर इस बार उ…
और पढ़ेंकल रात ठीक 10 बजे, जयपुर स्टेशन पर मैं — गुड़िया शर्मा — और मेरी पुरानी सहेली रीना सपरिवार मिल गए। रीना को देखकर मुझे बरसों पुरानी याद आ गई… और हाँ, ये वही रीना थीं, जि…
और पढ़ेंबरसात का मौसम अपने पूरे शबाब पर था। बाहर तेज़ बारिश हो रही थी — गली में कीचड़, छत से टपकती बूँदें, और हर कहीं मिट्टी की सोंधी खुशबू। गुड़िया, 35 साल की टीचर, रोज़ की तरह…
और पढ़ेंआज मैंने सोचा कि बाल धोने के साथ-साथ अपना मनपसंद सैलून स्पा भी कर आऊँ। बस, एक घंटा लगता है—यहीं सोचकर निकल गई। जाते-जाते पति देव को बोले, "बस एक घंटे में वापस आ ज…
और पढ़ेंपरवल की बूंदी मिठाई: कोलकाता की अनोखी मिठाई रेसिपी जो जीतेगी आपका दिल परवल की मिठाई कोलकाता की गलियों में एक खास जगह रखती है, लेकिन क्या आपने कभी बूंदी स्टफिंग वाली पर…
और पढ़ेंगाँव की पुरानी यादें: प्रयागराज का भंडारा और जलजीरा की महक जब भी मैं अपनी आँखें बंद करती हूँ, मेरे मन का आलम मुझे वापस प्रयागराज के उस छोटे से गाँव में ले जाता है, जहाँ…
और पढ़ेंबारिश का मौसम और प्रयागराज के समोसे की यादें प्रयागराज की बारिश में एक अनोखा जादू है। जैसे ही काले बादल छाते हैं और बूंदें रिमझिम शुरू होती हैं, शहर की गलियाँ, गंगा क…
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