आज मैंने सोचा कि बाल धोने के साथ-साथ अपना मनपसंद सैलून स्पा भी कर आऊँ। बस, एक घंटा लगता है—यहीं सोचकर निकल गई। जाते-जाते पति देव को बोले, "बस एक घंटे में वापस आ जाऊँगी, खाना आर्डर कर लेना।"
अब आप तो हिंदुस्तान का घंटे का हिसाब जानते ही हैं! उधर फोन की घंटी हर 10 मिनट में बज—"कितना और वक्त लगेगा?"
मैं भी पूरे आत्मविश्वास से, "बस, 5 मिनट और!" (शीशे में बालों में मास्क लगे हुए…)
खैर, जब घर पहुँची तो देखा बेटा 'अलमारी में कौन सी मैगी है', ये खोज रहा है और पति देव रसोई के सामने ऐसे खड़े हैं जैसे वहाँ पृथ्वी का सबसे बड़ा रहस्य छुपा हो।
घर में दस्तूर जारी था—"अब जब आ ही गई हो, तो खुद खाना बना लो।"
मौसम भी ऐसा था कि मन कर रहा था गरमागरम पोहा खाऊँ…
तो भाई, सबको बुलाया, खुद बनाया, और जब सब प्लेट लेकर बैठे—घड़ी में 9 बज रहे थे।
अब इतना तो बता ही दूँ, ये पोहा स्वाद में शायद फाइव-स्टार होटल जैसा न हो, पर मेहनत में कोई कमी नहीं!
और हाँ, जहाज़ी शेफ से टेस्ट की उम्मीद न करना आज, क्योंकि आज मेरा बालों का मास्क ज़्यादा परफेक्ट बना है—पोहा थोड़ा कम!
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