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"रक्षाबंधन: गुलाब जामुन और एक रहस्य"



जयपुर की बारिश भरी रात थी, सड़कों पर पेड़ों की छाया, दूर कहीं लालटेनों की हल्की रोशनी। लेखिका गुड़िया शर्मा अपने पुराने पैतृक घर लौटी थी।

राखबन्धन करीब था, मगर इस बार उसके मन में अजीब सी बेचैनी थी। पुराने घर में आकर हर कोना उसके बचपन की याद दिलाता, लेकिन इस बार दीवारों में कोई अनकहा राज छुपा था।

सारा परिवार आया हुआ था। गुड़िया का छोटा भाई चिंटू, बड़े चाचा, मामा और उनके बच्चे… सभी तैयारी में लगे थे। खास मिठाई के लिए गुलाब जामुन बन रहे थे — लेकिन सबसे खास बात, इस बार दादी ने रसोई में एक छोटा सा डिब्बा छुपा रखा।

रात के खाने के बाद दादी ने चुपचाप गुड़िया को बुलाया।
“बेटा, तुम्हें एक बात बतानी है… लेकिन सिर्फ राखी के दिन।”
गुड़िया परेशान हुई, क्या था इस घर का रहस्य?

रात को सारे लोग सो गए। बाहर बारिश की आवाज़ थी, अंदर पुराने गुलाबी इतालवी अलमारियों में खटर-पटर। गुड़िया राखी के अगले दिन का इंतज़ार करने लगी — मगर एक बात समझ न आई: हर साल राखी पर दादी किसी को एक खास चिट्ठी और गुलाब जामुन देती थीं, और फिर वो डिब्बा अगले साल तक गायब हो जाता।

राखी वाले दिन आया, सबने मिलकर पूजा की, राखियाँ बांधीं, हँसी-ठहाके हुए… दादी ने चिंटू को राखी बांधी और सबसे आखिर में गुड़िया को बुलाया —
“ये लो, तुम्हारे लिए है।"
गुड़िया को वही छोटा सा डिब्बा मिला जिसमें गुलाब जामुन और एक पुर्जा था।
दादी ने बताया —
“हर साल हमारे परिवार की बेटी को ये डिब्बा मिलता है। इस पुर्जे में हमारा एक पुराना राज है — खोजो कि पिताजी ने अपने समय में क्या छुपाया था।”

गुड़िया ने पुर्जा पढ़ा:
"जहां बरसात की छाँव सबसे गहरी हो, वहां गुलाब जामुन की मिठास ने सच छुपा रखा है।"

सारा घर उसकी तरफ देख रहा था।
गुड़िया ने छत की पुरानी टंकी में देखा, फिर रसोई, फिर बरगद के नीचे खुदाई की।
अंतत: उसे एक और डिब्बा मिला, जिसमें जड़ी हुई पुरानी राखियाँ और एक लिफ़ाफ़ा था।
लिफ़ाफ़े में लिखा था —
"हमारा रिश्ता सिर्फ रेशम की डोर नहीं, हर पीढ़ी की चिंता, दुआ और हिम्मत का नाम है। जो भी ये डिब्बा पाएगा, हमेशा सच जानने की जिज्ञासा रखे!"

सारा परिवार एक बार फिर एकजुट हुआ, और गुड़िया समझ गई —
सच्चा रिश्ता सिर्फ राखी की डोर से नहीं, परिवार के अदृश्य रहस्य और भरोसे से बँधा रहता है।
गुलाब जामुन की मिठास उस राज को खोजने का ज़रिया थी — और अब हर साल गुड़िया राखी पर उस डिब्बे की पहेली अपने बच्चों और बहनों को सौंपने लगी।














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