बारिश का मौसम और प्रयागराज के समोसे की यादें
प्रयागराज की बारिश में एक अनोखा जादू है। जैसे ही काले बादल छाते हैं और बूंदें रिमझिम शुरू होती हैं, शहर की गलियाँ, गंगा का किनारा, और घरों की खिड़कियाँ यादों से महकने लगती हैं। मैं, एक महिला उपन्यासकार, जिसके लिए यह शहर सिर्फ़ जगह नहीं, बल्कि दिल का ठिकाना है, आज बारिश और समोसे की उन यादों को बुनती हूँ, जो मेरे लिए सिर्फ़ स्वाद नहीं, बल्कि भावनाओं का खज़ाना हैं।
बारिश की रिमझिम
प्रयागराज की बारिश में ठंडक है, जो दिल को भिगो देती है। मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू हवा में तैरती है। मैं छत पर खड़ी हूँ, सामने गंगा की लहरें, दूर मंदिर की घंटियाँ गूँज रही हैं। बारिश बचपन की यादें लाती है—माँ के साथ गलियों में छतरी थामे चलना, और कोने की दुकान पर गरम समोसा खाना। वो हँसी, वो बेफ़िक्री, आज भी मेरे साथ है। जब मैं अपनी बेटी को बारिश में कागज़ की नाव बनाना सिखाती हूँ, तो लगता है, मैं अपने बचपन को फिर जी रही हूँ।
समोसे का स्वाद
बारिश और समोसा—प्रयागराज का ये रिश्ता अनमोल है। माँ की रसोई में समोसे बनते थे—आलू, मटर, मसालों का मिश्रण, और कुरकुरी परत। जब वो कढ़ाई में तलते, तो खुशबू घर भर देती। गरम समोसा, हरी चटनी के साथ, बारिश की फुहारों में खाना—ये पल आत्मा को सुकून देते थे। आज मैं अपने बच्चों के लिए समोसा बनाती हूँ, और उनकी चमकती आँखें मुझे माँ की याद दिलाती हैं। शहर की गलियों में, हर कोने पर समोसे की दुकानें हैं। बारिश में लोग छतरियों के नीचे खड़े, समोसे खाते हैं—ये नज़ारा शहर की ज़िंदादिली है।
प्रयागराज की आत्मा
प्रयागराज की बारिश और समोसा सिर्फ़ मौसम और स्वाद नहीं, इस शहर का दिल हैं। गंगा किनारे, गलियों में, रसोई में—ये ज़िंदगी को ख़ूबसूरत बनाते हैं। बूंदें खिड़की पर टकराती हैं, समोसे का स्वाद जीभ पर रचता है, और लगता है, ज़िंदगी यहीं ठहर जाए। मेरे लिए ये यादें मेरी कहानी हैं। प्रयागराज सिखाता है—ज़िंदगी को जियो, हर पल को गले लगाओ। हर बारिश में, हर समोसे में, मैं यही सीखती हूँ।
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