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बारिश, चाय और ब्रेड पकौड़ा: प्रयागराज की एक भावनात्मक कहानी

बारिश, चाय और ब्रेड पकौड़ा: प्रयागराज की एक भावनात्मक कहानी



प्रयागराज की बारिश कुछ अलग ही जादू बुनती है। जैसे ही आसमान में काले बादल उमड़ते हैं और बूंदों की रिमझिम शुरू होती है, शहर का हर कोना एक कहानी कहने लगता है। गंगा के किनारे की ठंडी हवाएँ, पुरानी गलियों में बच्चों की हँसी, और घरों की खिड़कियों से आती चाय की खुशबू—सब मिलकर एक ऐसी तस्वीर बनाते हैं, जो दिल को छू लेती है। मैं, एक औरत, जिसके लिए यह शहर सिर्फ़ जगह नहीं, बल्कि ज़िंदगी का एक हिस्सा है, आज अपनी कलम से उस बारिश, चाय और ब्रेड पकौड़े की बात करूँगी, जो मेरे लिए सिर्फ़ स्वाद नहीं, बल्कि यादों का खज़ाना है।

बारिश का आलम

प्रयागराज की बारिश में एक अजीब-सी ठंडक है। जब बूंदें ज़मीन को चूमती हैं, तो मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू हवा में घुल जाती है। मैं अपनी छत पर खड़ी हूँ, हाथ में एक पुरानी किताब, जिसके पन्ने बारिश की नमी से हल्के गीले हो चुके हैं। सामने गंगा का पानी लहरा रहा है, और दूर कहीं मंदिर की घंटियाँ बज रही हैं। बारिश यहाँ सिर्फ़ मौसम नहीं बदलती, वो दिल को भी भिगो देती है। वो बचपन की यादें ताज़ा कर देती है, जब माँ के साथ छतरी के नीचे स्कूल जाया करती थी, और रास्ते में पकौड़े की दुकान पर रुककर गरम-गरम ब्रेड पकौड़ा खाया करती थी।

चाय की चुस्की

बारिश और चाय का रिश्ता तो जैसे जन्मों का है। मेरे घर की रसोई में, माँ की पुरानी केतली अभी भी वही पुरानी धुन गुनगुनाती है। चाय बनाते वक़्त अदरक, इलायची और तुलसी की खुशबू पूरे घर को महका देती है। मैं खिड़की के पास बैठती हूँ, हाथ में चाय का प्याला, और बाहर बारिश की बूंदों को टपकते देखती हूँ। हर चुस्की के साथ कोई पुरानी बात याद आती है—कभी कॉलेज के दोस्तों के साथ चाय की टपरी पर गपशप, तो कभी पति के साथ पहली बारिश में भीगते हुए चाय की दुकान पर रुकना। चाय सिर्फ़ पेय नहीं, वो एक एहसास है, जो हर बारिश में और गहरा हो जाता है।

ब्रेड पकौड़ा: स्वाद और यादों का मेल

और फिर आता है ब्रेड पकौड़ा—वो स्वाद, जो हर प्रयागराजवासी के दिल के करीब है। माँ की रसोई में, जब बारिश शुरू होती थी, वो तुरंत बेसन गूंथने लगती थी। ब्रेड के टुकड़े, बेसन का गाढ़ा घोल, और हल्की-सी मिर्च की तीखापन—जब ये कढ़ाई में तलते थे, तो सारा घर ख़ुशबू से भर जाता था। आज भी, जब मैं अपने बच्चों के लिए ब्रेड पकौड़ा बनाती हूँ, तो वो वही उत्साह दिखाते हैं, जो कभी मैं दिखाया करती थी। पकौड़े की थाली, चटनी का कटोरा, और बारिश की फुहारें—ये सब मिलकर एक ऐसी शाम बनाते हैं, जो सिर्फ़ पेट नहीं, बल्कि आत्मा को भी तृप्त कर देती है।

प्रयागराज का दिल

प्रयागराज की बारिश, चाय और ब्रेड पकौड़ा सिर्फ़ खाने-पीने की चीज़ें नहीं हैं। ये उस शहर की आत्मा हैं, जो हर मौसम में अपने लोगों को गले लगाता है। यहाँ की गलियों में, गंगा के किनारे, और हर घर की रसोई में, ये तीनों मिलकर ज़िंदगी को और ख़ूबसूरत बनाते हैं। बारिश की बूंदें जब खिड़की पर टकराती हैं, चाय की गर्मी जब हाथों को सुकून देती है, और ब्रेड पकौड़े का स्वाद जब जीभ पर रचता है, तो लगता है कि ज़िंदगी यहीं ठहर जाए।

मैं, एक औरत, जिसने इस शहर में अपनी ज़िंदगी के हर रंग देखे हैं, आज भी हर बारिश में वही पुराना सुकून तलाशती हूँ। मेरे लिए ये बारिश, चाय और ब्रेड पकौड़ा सिर्फ़ एक पल नहीं, बल्कि मेरी कहानी का हिस्सा हैं। और शायद, हर प्रयागराजवासी के लिए भी।


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